शीर्षक- अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav)

azadi ka amrit mahotsav

पावन जल और पावन माटी
पावन देश हमारा
आओ मनाएं अमृत उत्सव प्यारा ।

इस धरती का कण-कण
आजादी का गीत सुनाता
बलिदानी वीरों का जो
पावन इतिहास बताता
अपनी निशानी दे गए जो
लहरा के तिरंगा प्यारा
आओ मनाए अमृत उत्सव प्यारा।

कल-कल करती नदियां बोलें
कहती झर झर झरने
निकल पड़े सुख त्याग
मातृभूमि की सेवा करने
अपना सब कुर्बान किए
और देश का रूप संवारा
आओ मनाएं अमृत उत्सव प्यारा।

थे सुभाष, बिस्मिल, आजाद
अशफाक से थे सेनानी
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह
जैसे थे बलिदानी
राणा का गौरवशाली
भारत भूभाग हमारा
आओ मनाएं अमृत उत्सव प्यारा।

आजादी के महायज्ञ
वीरों ने समिधा डाली
चाह रहे थे जो आजादी
संघर्षों से पा ली
यहां धरा पर समरसता
और प्रेम की अविरल धारा
आओ मनाएं अमृत उत्सव प्यारा।

आजादी की कथा कहे
पगडंडी और चौराहे
कैसे जीवन की आहुति दे
देश को अपने सजाएं
चमक रहे हैं आज भी वो
बन भारत भाग्य सितारा
आओ मनाएं अमृत उत्सव प्यारा।

सीमाओं पर तीन उदधि
धरती वन कानन सुंदर
सभी बताते शौर्य कथा
कैसे थे वीर धुरंधर
वीरों का यश गान सदा
करता सागर का किनारा
आओ मनाए अमृत उत्सव प्यारा।

राष्ट्रप्रेम का पुंज यहां
नित प्रतिदिन रहे प्रकाशित
कैसी भी हो तिमिर
घना हो चाहे कुहासा रोपित
शौर्य, समर्पण, त्याग, ज्ञान के
दीप से हो उजियारा
आओ मनाए अमृत उत्सव प्यारा।

इस धरती की गोद में खेलें
धरती है यह मां सी
हमको गर्व है गर्व से कहतें
हम सब भारतवासी
करते हैं ‘एहसास’
यहां का अद्भुत रूप नजारा
आओ मनाए अमृत उत्सव प्यारा।

कवि–अजय एहसास

अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)