प्रियंका गांधी की वोट यात्रा भी गंगा के निवासियों की नहीं सुन पाई सालों की पीड़ा
प्रयागराज -मिर्जापुर के बीच 120 किमी इलाके में नहीं है गंगा में कोई सेतु
भदोही, 22 सितंबर । शब्दरंग न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में अब तक अनगिनत सरकारें आयीं और चली गईं। सबने विकास का सपना बेंचा और सत्ता का आनंद लिया, लेकिन जनता की जरूरतें जहाँ की तहाँ हैं। जमींनी मुद्दों की जमींन आज भी खाली है। धर्मनगरी काशी-प्रयागराज के मध्य टेला गंगा घाट पर सेतु निर्माण की मांग हजारों लोगों की जरूरत है। लेकिन वर्षो की मांग आज भी गंगा में गोते लगा रहीं है। इसी जलमार्ग से प्रियंका गांधी 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल को साधने के लिए संगम से मिर्जापुर तक नाव यात्रा किया था, लेकिन यह यात्रा भी जनमुद्दों से नहीं जुड़ पायी।
काशी-प्रयागराज के मध्य टेला गंगा घाट स्थित है। वैसे तो यह इलाका प्रयागराज में पड़ता है,लेकिन लोकसभा के नए परिसीमन में यह भदोही संसदीय क्षेत्र में आता है। टेला गंगा घाट पर रोज हजारों की संख्या में लोग इस पार से उस पार आते जाते हैं। गंगा के दक्षिण में मकरा मुकुंदपुर पड़ता है। यही रास्ता पूर्व प्रधानमंत्री के गृह क्षेत्र मेजा-मांडा को भी जोड़ता है। उत्तरी छोर पर प्रयागराज में आने वाले बरौत, हंडिया के साथ भदोही का जंगीगंजऔर प्रमुख पर्यटन स्थल सीतामढ़ी भी जुड़ता है। टेला गंगा घाट से आने वाली सड़क सीधे कोलकाता से अमृतसर तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ती है।
टेला से निकलने वाली सड़क सीधे जौनपुर और भदोही की दूसरी सड़कों से जोड़ती है। गंगा के दोनों पार प्रयागराज आता है, लेकिन गंगा के सीमावर्ती गांव सीधे प्रयागराज और भदोही, जौनपुर एवं प्रतापगढ़ के लिए टेला घाट से ही इस पार आते हैं। क्योंकि यह दूरी बेहद कम पड़ती है। लेकिन फोरव्हीलर के लिए उन्हीं लम्बा फासला तय करना पड़ता है। जिसकी वजह से समय और पेट्रोल की अधिक ख़पत होती है। काफी संख्या में लोग नौकरी पेशा अधिवक्ता, शिक्षक,स्कूली बच्चे और मरीज भदोही और प्रयागराज इसी रास्ते से आते हैं। एक दूसरे इलाके में काफी रिश्तेदारियां हैं। लेकिन बारिश में नाव के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
प्रयागराज -मिर्जापुर के बीच गंगा करीबन 120 किलोमीटर का इलाका बगैर सेतु का है। आवागमन का एक मात्र साधन सिर्फ नाव है। बारिश के मौसम में जब इस समय गंगा उफान पर हैं तो हजारों की आबादी अपनी जिंदगी नाव और गंगा को समर्पित कर चलती है। कोरोना काल में स्कूली बच्चों को दिक्कत नहीं हुईं, लेकिन अब स्कूल खुल गए हैं जिसकी वजह से उनकी समस्याएं बढ़ गई हैं। प्रयागराज के लाक्षागृह, टेलाघाट भदोही के डेंगूरपुर, धनतुलसी और रामपुर गंगा घाटों पर सालों से सेतु निर्माण की मांग अधूरी पड़ी है। लेकिन टेला घाट पर सेतु निर्माण से यह समस्या काफी हद तक सुधर सकती है। बारिश की वजह से कटान होने से टेला घाट की स्थिति बेहद खतरनाक हो गईं है।
जब गंगा में पानी कम होता है तो सभी घाटों पर आस्थाई पीपापुल का निर्माण किया जाता है। लेकिन जून के बाद बारिश की दस्तक के साथ उसे उखाड़ दिया जाता है।बारिश में जब आम लोगों की असली परेशानी शुरू होती है तो यह दिक्कत फिर सामने आ जाती है। टेला गंगा घाट पर अब तक अनगिनत नाव हादसे हो चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी व्यवस्था और सरकारों की नींद नहीं टूटती।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जनता की काफी उम्मीदें हैं। लेकिन देखिए आगे क्या होता है।
क्या बोले भदोही सांसद रमेश बिंद
प्रयागराज जनपद का काफी बड़ा हिस्सा भदोही लोकसभा में आता है। टेला गंगाघाट भी इसी चुनावी क्षेत्र में है। इस संबंध में जब हमने भदोही से भाजपा सांसद रमेश बिंद से सेतु निर्माण के बाबत बात किया तो उन्होंने कहा भदोही के रामपुर, धनतुलसी, डेंगूरपुर और प्रयागराज के लक्षागृह बारे में लोकनिर्माण मंत्री और संबंधित विभाग से हमने बात की है। इस बारे में हमने लिखित प्रस्ताव भी दिया है। मेरा पूरा प्रयास है इन स्थानों पर सेतु का निर्माण किया जाए। टेला घाट के संबंध में उन्होंने कहा कि इसका प्रस्ताव भी हमने लोक निर्माण विभाग और सम्बंधित मंत्रालय को दिया है। सांसद की बातों से जनता को एक उम्मीद बध सकती है। लेकिन जब तक धरातल पर कुछ नहीं दिखता है तो वादों का क्या। आगामी विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए कितना अहम होगा फिलहाल यह वक्त बताएगा।