शीर्षक – बचपन की याद

Childhood Memories

वो अपने वजीर, वो अपने बादशाह
वो अपने ही चोर, वो अपने ही सिपाही
कोई ये खेल, जरा वापस तो लाए
वो अपने पुराने किस्से, वो अपनी झूठी कसमें
वो अपनी पुरानी यादें, वो अपनी पुरानी बातें
कोई भी जन आए, फिर से मुझे सुनाए
वो अपना कंचे का खेल, वो दोस्ती का मेल
वो बचपन का प्यार, वो अपने दोस्त हजार
छोटी बातों पर होना गुस्सा. कोई मुझे सिखाए
वो लुका- छुपी और, नारियल के खेल
पेड़ों पर चढ़कर लखनी, नीचे का ओ अतलमतूर
इन सब को आज भी, खेल के दिखाए
वो अपनी बचपन पुरानी, वो हरकतें नादानी
सब अपने ही हैं, कोई दिल नहीं दीवानी
कोई ऐसी भावना, जरा वापस तो लाए
अपने गन्ने का गुण और, घर का पुराना दाना
खाते और मुस्कुराते, स्कूल तक आना
ये हरकतें करके कोई, अब भी मुझे दिखाए
वो हिंदी के गीत, वो अपना पुराना गाना
पापा के साथ मेला, अंगुली पकड़ के जाना
कोई ये दिन मुझे, फिर से तो दिखाए
वो अपनी छोटी रेल, वो गराड़ी की गाड़ी
वो काल- कलौती का खेल, वो बचपन की जवानी
कोई तो मुझको इसका, एहसास भी कराए
उस समुंदर के “साहिल” पे, वो लहरों को दिखाकर
मुझे कंधे पर बिठाकर, हर गली घुमाकर
कोई मेरे घर को मुझे, जरा वापस तो लाए
वो ऊपर नीचे और, बंद आंखों का खेल
तारों के बीच वो, अपने जहाजों की खोज
ले जाकर कोई मुझे, अपने घर से अब दिखाए!!

कविता- मो० साहिल

रामराजी इण्टर कालेज
नरायनपुर प्रीतमपुर हीरापुर अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

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