बुखार व जुकाम जैसे संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ने से जिला अस्पताल में क्षमता से अधिक भीड़

Due to the increase in the outbreak of infectious diseases like fever and cold, the district hospital is overcrowded with capacity.

भीड़ के चलते तमाम मरीज निजी अस्पतालों का कर रहे रुख

अंबेडकरनगर। शब्दरंग न्यूज़ डेस्क

बुखार व जुकाम जैसे संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ने के साथ ही जिला अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीज पहुंचने लगे हैं। हालत यह है कि 100 बेड की क्षमता वाले जिला अस्पताल में गुरुवार को कुल 223 मरीज भर्ती किए गए थे। अस्पताल प्रशासन वैकल्पिक प्रबंधों के तहत मरीजों को भर्ती कर उनका उपचार सुनिश्चित कर रहा।

जिला अस्पताल में भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जुलाई माह में प्रतिदिन औसतन साढ़े 600 मरीज, तो वहीं अगस्त माह में औसतन 800 मरीज की ओपीडी हो रही थी। सितंबर माह की शुरुआत होते ही ओपीडी बढ़कर 1100 के करीब पहुंच गई। जिला अस्पताल में मरीजों की बढ़ती भीड़ का एक कारण सीएचसी में मरीजों को भर्ती करने व उनके बेहतर उपचार में बरती जाने वाली लापरवाही भी है। इन्हीं सबके चलते ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर मरीज जिला अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।

नतीजा यहां प्रतिदिन भारी भीड़ के तौर पर सामने आ रहा है। मौसम में लगातार परिवर्तन समेत कई अन्य कारणों से इन दिनों संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ चला है। प्रदेश के कई हिस्सों में बुखार व जुकाम तेजी से पांव पसार रहा है। इसमें लापरवाही बरतने वाले तमाम मरीज डेंगू आदि के भी शिकार हो रहे हैं। अंबेडकरनगर जिले में भी संक्रामक रोगों ने पांव पसार रखा है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज बढ़ रहे हैं। यूं तो मरीजों के बढ़ने का सिलसिला अगस्त माह की शुरुआत से ही हो गया था, लेकिन माह का अंत होते होते इसमें और तेजी देखने को मिली।

भीड़ के चलते अफरातफरी का माहौल

जिला अस्पताल में मरीजों को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1 सितंबर से यहां ओपीडी की संख्या 1100 पार कर गई है। अगस्त माह में औसतन 800 मरीज, तो जुलाई माह में प्रतिदिन साढ़े 600 मरीज ओपीडी में पहुंच रहे थे। नतीजा यह है कि पर्चा बनवाने के लिए ही मरीजों के बीच मारामारी का माहौल देखने को मिलता है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने जरूरी प्रबंध कर रखे हैं, लेकिन रिकार्ड भीड़ के चलते अफरातफरी का माहौल बना रहता है।

ओपीडी में मरीजों की तादाद बढ़ने के अलावा भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है। जिला अस्पताल को मूलरूप से 100 बेड की क्षमता का दर्जा है। अन्य विंग में अलग से बेड उपलब्ध हैं। इनदिनों हालात यह हैं कि क्षमता से दोगुना से भी अधिक मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। इमरजेंसी वार्ड से लेकर सामान्य वार्ड मरीजों से खचाखच भरे हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 24 घंटे में जिला अस्पताल में कुल 223 मरीज भर्ती रहे। इनका उपचार जिला अस्पताल प्रशासन वैकल्पिक प्रबंधों के जरिए सुनिश्चित कर रहा है। इनमें जुकाम व बुखार से लेकर तेज बदन व सिर दर्द के भी मरीज बड़ी तादाद में शामिल हैं।

निजी अस्पतालों का कर रहे रुख

जिला अस्पताल में भीड़ के चलते तमाम मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। गुरुवार को जिला अस्पताल में मिले जलालपुर के तीमारदार शिवाकांत यादव ने बताया कि वे अपनी पत्नी को तेज बुखार व दर्द के चलते भर्ती कराने के लिए लाए थे, लेकिन यहां भारी भीड़ देख यह एहसास हुआ कि शायद ठीक से इलाज न हो पाए। इससे अब मैं पत्नी को जलालपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जा रहा हूं। यहीं मिली टांडा निवासी शगुफ्ता ने कहा कि उनकी पुत्री को एक दिन पहले से लूज मोशन की शिकायत हो रही। मैं उसे लेकर यहां आई हूं, लेकिन यहां पहले से इतनी मारामारी है कि बेहतर इलाज हो पाने की उम्मीद मुझे नहीं है। मैं वापस टांडा जा रही हूं। इसी तरह के कई अन्य मरीज व तीमारदार जिला अस्पताल में मिले, जो यहां की भारी भीड़ को देखकर इलाज कराए बगैर ही वापस लौट गए।

सीएचसी में बरती जाने वाली लापरवाही भी जिम्मेदार

जिला अस्पताल में उमडने वाली भीड़ का एक बड़ा कारण जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को भर्ती करने को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही भी है। जिला अस्पताल में मिले तीमारदार रवींद्र पाण्डेय ने कहा कि प्रशासन को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को भर्ती करने के लिए चिकित्सकों को हिदायत देनी चाहिए। मरीजों के भर्ती न होने पर यदि सभी सीएचसी के चिक्त्सिकों से जवाब तलब किया जाए, तो न सिर्फ सीएचसी में पर्याप्त मरीजों को भर्ती किया जाएगा, वरन जिला अस्पताल पर लोड भी घटेगा।

जिला अस्पताल में आए मरीज शंकर का कहना था कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में बनी सीएचसी सिर्फ ओपीडी के काम आती है। प्रसव को छोड़ दिया जाए, तो सामान्य तौर पर मरीजों को भर्ती कर उनके समुचित उपचार की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। इसी के चलते सभी क्षेत्रों से मरीजों को जिला अस्पताल की तरफ भागना पड़ता है। इसका खामियाजा जिला अस्पताल में अतिरिक्त भीड़ के रूप में सामने आता है।

एक तीमारदार अरविंद यादव का कहना था कि सभी सीएचसी के प्रभारियों व चिकित्सकों से प्रत्येक माह लिखित जवाब तलब हो, तो ही सीएचसी में सामान्य ढंग से मरीजों को भर्ती करने का माहौल मजबूत हो सकेगा। जिला अस्पताल आने वाले मरीजों को अधिकतम सुविधाएं दी जा रही हैं। पर्याप्त दवाएं मौजूद हैं। क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। चिकित्सकों द्वारा जिम्मेदारी का निर्वह्न कर अधिक से अधिक मरीज देखे जा रहे हैं। मैं प्रतिदिन सभी चिकित्सकों व कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाता रहता हूं, जिससे मरीजों की अधिकाधिक सेवा हो सके।