आज हिन्दी कविता का हाल यह है कि जो भी लिख दो वह कविता है, और इसे लिखने वाला स्वघोषित दुनिया का सबसे बड़ा कवि है। निराला की कुछ कविताओं को मुद्दा बनाकर लोग अपने को निराला से बउ़ा कवि घोषित कर रहे हैं, जबकि न छंद की तमीज़ है और न ही कंटेंट की।- ‘मै बाज़ार में सब्जी खरीदने गया। आलू, लौकी, भिंडी खरीदा, फल दूसरी दुकान से लिया।’ इसे टुकड़ों को बांट दिया और हो गई कविता, लिखने वाला हो गया दुनिया का सबसे बड़ा कवि। किसी को कुछ सीखने या जानने की ज़रूरत नहीं है, और न ही बड़े कवियो को पड़ने की ज़रूरत है, इसलिए जो कविता लिखता है, वही खुद पढ़ता है, कोई दूसरा नहीं पड़ता। यह सूरतेहाल ने कविता को पाठकों से कोसों दूर कर दिया है, मगर कवि महोदय दुनिया के सबसे बड़े कवि हैं, किसी दूसरे की प्रशंसा करने की ज़रूरत ही नहीं है, खुद की प्रशंसा कर लेते हैं।
-इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी