शीर्षक- मोहब्बत की यादें

shabdrang
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हर दर्द का अपना मुझे हमदर्द बनाया
ख्वाबों न खयालों में मुझे दिल में बिठाया
पलकों पे नहीं ख्वाबों में आंखों में सजाया
इक सच्चा सा अपना मुझे एहसास बनाया

कुछ इस तरह उसने मुझे अपना सा बनाया
दिल उसका था धड़कन मुझे उसने था बनाया
दुनिया से छुपाती रही ना बोली किसी से
अपना मुझे इक उसने गहरा राज बनाया।

इतनी है मोहब्बत कि बयां कर नहीं पाऊं
जब इतना यकीं छोड़ उसे मैं कहां जाऊं
चाहत का अपने बस मुझे अंजाम बनाया
अपनी सुबह और रात कभी शाम बनाया।

थी पाक मोहब्बत, नहीं थोड़ी भी खोट थी
दुनिया की वजह से लगी बस दिल पे चोट थी
बाहों को मेरे खुद गले का हार बनाया
उसने मुझे अपना पूरा संसार बनाया।

कुछ पूछना कहते हुए खोते चले जाना
बस बात करते-करते ही रोते चले जाना
दुख के समंदरो में किनारा सा बनाया
कर बात दे उत्साह सहारा सा बनाया।

ख्वाहिश नहीं उसको कोई है अब सिवा मेरे
कहती रहूं कैसे ना जिया जाए बिन तेरे
ना जाने उसने कब से अपनी सांस बनाया
सब कुछ था फिर न जाने कैसे काश ये आया

जितना हो फासला हो प्यार उतना ही गहरा
मिल पाओगे कैसे लगा जो दुनिया का पहरा
इन दूरियों इन फासलों ने आंखें छलकाया
आता है याद पल जो साथ में था बिताया।

परछाई बन के साथ वो सदा मेरे चली
मुस्कान उसकी लगती थी खिलती हुई कली
होठों पे अपने प्यारी सी मुस्कान सजाया
पर अलविदा कहते हुए था उसने रुलाया।

अजय एहसास (युवा कवि व लेखक)

अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

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