Paush Purnima 2022 : साल की पहली पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) 17 जनवरी दिन मंगलवार को रात्रि 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा। पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) की समाप्ति 18 जनवरी प्रात: 5 बजकर 17 मिनट तक जारी रहेगा। उदयातिथि मान्य होने के कारण पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) 21 जनवरी को ही रहेगी। पौष मास का शुक्ल पक्ष धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यही वह शुभ समय होता है जब सूर्य अपने नक्षत्र उत्तराअसाठा में प्रवेश करता है, और साथ ही उत्तरायण हो जाता है।
इसीलिए हिन्दू धर्म में स्वास्थ का ध्यान रखते हुए पौष महीने की शुक्लपक्ष की तीज-त्यौहारों की रीति और परम्परा बनाई है। पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) के दिन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम और वाराणसी के दशाश्वमेध घाट में गंगा स्नान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) के दिन जप, तप, पूजा और दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से और भगवान् विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को 100 यज्ञो के सम-तुल्य पूण्यलाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही पूर्णिमा के दिन दान करने से अमोघ फल का वरदान मिलता है। अतः पौष पूर्णिमा का विशेष महत्त्व बताया गया है।
पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त
पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) तिथि 17 जनवरी को देर रात 3 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 17 मिनट तक चलेगी। पूर्णिमा का व्रत 17 जनवरी को ही रखा जाएगा। सुबह 08:34 बजे से 09:55 बजे तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल को शुभ नहीं माना जाता। इस दौरान दान, पुण्य, पूजा आदि कार्य न करें। 18 जनवरी को सुबह ब्रम्हमुहूर्त में उठकर स्नान करे तत्पश्चात किसी ब्राह्मण को अन्न, गर्म कपड़े, शक्कर गुड़ और घी आदि दान-दक्षिणा का दान करे तो बहुत लाभ होगा। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो दही, सफेद वस्त्र का दान करे। संध्या के समय सत्य नारायण की कथा का वाचन व श्रावण करे।