मेरे बारे में जो कोई तेरी अल्फाज़ आती है,
हवाएँ पास आ करके हवाएँ सब बताती हैं।
महकता शाम है मेरा, चहकती सुबह आती है,
हवाएँ पास आ करके हवाएँ सब बताती हैं।
चुनावी साजिशें आयी, चुनावी रंजिशें निकली
चुनावी दौर में मुझ को, हवाएँ सब बताती हैं।
नहीं उड़ता बिखरता हूं, नहीं मैं टूटता जुड़ कर,
तेरा यूँ तोड़ना जुड़ना, हवाएँ सब बताती हैं।
शहर में आज फैला है सियासी दौर लोगो का,
सियासत की रियासत हैं, हवाएँ सब बताती हैं।
कोई कहता फिजा मेरी कोई कहता हवा मेरी ,
ये इसका है न उसका है, हवाएँ सब बताती हैं।
सियासत की बीमारी देख रोता आज है ‘एहसास ‘
नहीं इसकी दवाई है, हवाएँ सब बताती हैं।