शीर्षक – वेतन कब तक पाऊंगा ?

अजय एहसास
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घरवालों के सपने आखिर मैं कब सच कर पाऊंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा ।।

घरवाली की फटी है साड़ी मां बाबू की चले दवाई
बच्चों की ना फीस भर मिले कैसे पूरी करें पढ़ाई
समझ नहीं आता घर जाकर उनको क्या बतलाऊंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा ।।

आपस में कुछ हो गई बातें कुछ दिन पहले रूठ गई थी
खर्चे को बेचे जब गहनें मानो वो तो टूट गई थी
कर्ज का बोझ है सिर के ऊपर जाने कैसे चुकाऊंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा ।।

घर पर कुछ खेती है लागत उसमें भी तो लगाना है
बहन सयानी हो गई उसका भी तो ब्याह रचाना है
घर के कामों में कैसे मैं भागीदारी निभाउंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा।।

जिस छत के नीचे हम रहते वो भी तो अब टपकता है
देख पड़ोसी का वो खिलौना बच्चा मेरा लपकता है
अपने बच्चों के प्रति कैसे जिम्मेदारी निभाउंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा।।

दोस्त बात करते हैं जब पूछे खर्च करोगे कब
कहते हैं पा गए नौकरी हमको भूल गए हो अब
कब अपने हाथों से यार का मुंह मीठा करवाउंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा।।

भाई की इक आंख में आंसू और दूजे में दिखता प्यार
इस मंदी के दौर में उनका बंद पड़ा है कारोबार
सोचा था खुद के पैसे से उनको आगे बढ़ाऊंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा।।

भाभी की आंखों में मैंने कुछ सपने तो देखे थे
आता आधी रात को मेरी खातिर रोटी सेंके थे
मिष्ठानों का डिब्बा ले चरणों में शीश झुकाउंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा ।।

बिटिया रानी पूछती रहती कब चाचा जी आएंगे
और हमारे खातिर बोलो वहां से क्या-क्या लाएंगे
क्या करता कुछ समझ न आए कि क्या लेकर जाऊंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा ।।

हे ईश्वर! तू हिम्मत दे मैं निभा सकूं जिम्मेदारी
इस दुनिया के मैच में मैं भी खेल सकूं अपनी पारी
शतक नहीं तो अर्द्धशतक तक भाग दौड़ में आऊंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा।।

बैठे-बैठे वेतन लेते हर कोई यह कहता है
दिल से पूछो यार हमारे रोज-रोज क्या सहता है
पाओगे “एहसास” करोगे तब तुम से बतियाउंगा
मिली नौकरी पता नहीं मैं वेतन कब तक पाऊंगा ।।

ajay ahsaas png

कविता- अजय एहसास

सुलेमपुर परसावां
अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

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युवा कवि और लेखक, अजय एहसास उत्तर प्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर जिले के ग्रामीण क्षेत्र सलेमपुर से संबंधित हैं। यहाँ एक छोटे से गांव में इनका जन्म हुआ, इनकी इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा इनके गृह जनपद के विद्यालयों में हुई तत्पश्चात् साकेत महाविद्यालय अयोध्या फैजाबाद से इन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बचपन से साहित्य में रुचि रखने के कारण स्नातक की पढ़ाई के बाद इन्होंने ढेर सारी साहित्यिक रचनाएँ की जो तमाम पत्र पत्रिकाओं और बेब पोर्टलो पर प्रकाशित हुई। इनकी रचनाएँ बहुत ही सरल और साहित्यिक होती है। इनकी रचनाएँ श्रृंगार, करुण, वीर रस से ओतप्रोत होने के साथ ही प्रेरणादायी एवं सामाजिक सरोकार रखने वाली भी होती है। रचनाओं में हिन्दी और उर्दू भाषा के मिले जुले शब्दों का प्रयोग करते हैं।‘एहसास’ उपनाम से रचना करते है।
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