अम्बेडकर जयंती विशेष कविता
देश के लिए जिन्होने सुख सुविधाएं छोड़,
त्याग जो किया दुनिया को बतलायेंगे।
बाबा के बतायें हुए रास्ते पे चलकर,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
जाति धर्म सम्प्रदाय वाली बातें भूल प्यारे,
आज इक दूसरे को गले से लगायेंगे।
बाबा साहब सपनों में देखे जिस भारत को,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
मानव में विभेद जो है उसको मिटाने खातिर,
समता विरोधियों से हम भिड़ जायेंगे।
प्रेम से भरा हुआ हो पुलकित सभी का मन,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
बाबा के बतायें हुए अनमोल वचनों की,
लेते हैं शपथ आज हम अपनायेंगे।
गिरे को उठायेंगे हम गले से लगायेंगे,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
जुल्म के खिलाफ संघर्ष करते रहे वो,
जुल्म के खिलाफ सबको लड़ना सिखायेंगे।
शान्ती ही शान्ती की कामना करें सदा ही,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
कई वर्षों से शोषितों को वरदान दे दिया,
हम भी ऐसे ही कई बदलाव लायेंगे।
दीन हीन आंसुओं को मुस्कान में बदल के,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
उजड़ों की दुनिया बसाकर चले गये वो,
बाबा साहब आपको न हम भूल पायेंगे।
दर्द लेकर मुस्कान बांटते रहेंगे सदा,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
खुद नही सोये चिन्ता करें जागते रहे,
कहते थे एक दिन बदलाव लायेंगे।
किये ऐसा परिवर्तन दुनिया सलाम करे,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
खुशी अपनी भूलकर सबको हंसा दिया,
सोचते थे एक दिन सब मुस्कायेंगे।
मुरझाये चेहरे देख खुद दुखी होते हम,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
नही बैर भाव पनपे रहे भाई चारा प्रेम,
सद्भावना का पाठ जग को पढ़ायेंगे।
बाबा साहब के पढ़ाये पाठ अनुकरण कर,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
ऊंच नीच वाली बात छोड़ छोड़ दुष्टों का साथ,
पीढ़़ियों को अपने अच्छी बात समझायेंगे।
खुद को बदल हम बदलें समाज को भी,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
खुद को समर्पित किये ऐसे महामानव के,
चरणों में अपना श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।
बाबा के विचार जान उनको ही प्राण मान,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
करें ‘एहसास’ हुई जो नाइन्साफी कभी,
अब न भविष्य मे हम उसे दुहरायेंगे।
आपस में भाई चारा प्रेम बस लक्ष्य हो कि,
आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।।
-अजय एहसास, अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)
read more
व्यंग्य कविता : श्रीमती