रक्षाबंधन जब भी आये ।
बहनो का चेहरा खिल जाये।।
भाई जब राखी बंधवाये।
रक्षा का प्रण बहन को दे जाये ॥
उपहार मांगने ना आये।
बस प्यार भाई का पा जाये ।
जब कभी मुसीबत पड़ जाये।
तब भाई ही दौड़ा आये॥
पीड़ा न बहन की देख पाये।
आंखों में आंसू भर आये ॥
जब बहन के आंसू बह जाये।
मैं हूँ ना भाई कह जाये ॥
वो जुबां से कुछ न कह पाये।
फिर भी सब भाई समझ जाये।।
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है खुशनसीब जो बहन पाये।
बहना से राखी बंधवाये ।।
कुछ सूनी कलाई दिख जाये।
क्योंकि बहन जन्म ना ले पाये ॥
हर भाई को राखी बंध जाये ।
बहनों से धरा ये सज जाये ॥
ना कष्ट कोई बहना पाये,
भाई को खुशियाँ दे जाये।
कामना चितेरा की है ये,
राखी मंगलमय हो जाये।।