सुन लो तुम सुबह अजान, आया प्यारा रमज़ान
मेरा प्यारा रमजान, सबका प्यारा रमज़ान।।
खुशियों की चमक है बिखरी,
करते इफ्तार – ओ – सहरी
मिले सबको ढेरों खुशियां
ना रहे तमन्ना अधूरी
रहमत भी खुद की बरसे
बरकत को ना कोई तरसे
है चांद भी कितना खुश, रोशन है हुआ आसमान
सुन लो तुम सुबह अजान आया प्यारा रमज़ान ।।
हर तरफ नूर है छाया
सजदे में सर को झुकाया
जब भी है प्यास सताया
है सब्र का पाठ पढ़ाया
होती है शबाब की बारिश
पूरी होती है ख्वाहिश
नफरतें मिटा देता जो, भाईचारे का पैगाम
सुन लो तुम सुबह अजान आया प्यारा रमज़ान।।
जन्नत हो तुझे नसीब
जिसे चाहे, रहे करीब
रख रोजा कर ले भरोसा
बदलेगा तेरा नसीब
करले तू गुनाहों से तौबा
सोचो क्यों ये तन सौपा
छोटे बड़े रखो सब रोजे, ये अल्लाह का फरमान
सुन लो तुम सुबह अजान आया प्यारा रमज़ान ।
बस पढ़ते रहो नमाज
सुन खुदा के तू अल्फाज
ना करना खुद पर नाज
ना रहेगा कल जो आज
ना होना तुम गुमराह
चलना नेकी की राह
ना छोटा बड़ा देखना तुम, देना सबको सम्मान
सुन लो तुम सुबह अजान आया प्यारा रमज़ान।
दे खुदा के घर में दस्तक
अल्लाह की बरसे रहमत
परिवार भी रहे सलामत
ना आए कभी मुसीबत
इस माह में कुछ ऐसा कर दे
‘एहसास’ की भी झोली भर दे
ना भूलना तू ये बात कभी, तू कुछ दिन का मेहमान
सुन लो तुम सुबह अजान, आया प्यारा रमज़ान
मेरा प्यारा रमजान, सबका प्यारा रमज़ान।।