अपमान किसी का ना करना
तुम सब का ही सत्कार करो
मनभेद मिटा मतभेद मिटा
ऐसी होली इस बार करो ।
होठों पर मुस्कान सजे
ऐसी फागुन की तान बजे
कोई ना कोरा रह जाए
वो गाल ना गोरा रह जाए
इस रंग भरी होली में अब
रंगीन वो घर संसार करो ।
मनभेद मिटा मतभेद मिटा
ऐसी होली इस बार करो ।
बचपन की पिचकारी लाओ
पानी भरकर नाचो गाओ
भाईचारा और प्यार बढ़ाएं
इक दूजे को गले लगाए
गर भूल से जो कोई गलती करें
तुम उसको भी स्वीकार करो
मनभेद मिटा मतभेद मिटा
ऐसी होली इस बार करो ।
प्रकृति भी आज लगे भोली
मिलजुल कर सब खेले होली
संस्कृति ,सभ्यता पर है गर्व
होली अपना पावन है पर्व
ले रंग ‘चितेरा’ आया है
ना मिलने से इन्कार करो
मतभेद मिटा मनभेद मिटा
ऐसी होली इस बार करो।।
– राजकपूर चितेरा
Read More : होली है