जो गाकर बेचें अपने गम,
कमाई हो ही जाती है
कि निकलो जैसे महफिल से,
बुराई हो ही जाती है ।
किसी के कान में है झूठ,
कोई वादों का झूठा है
पड़े चक्कर में झूठों के,
बुराई हो ही जाती है।
बनाते हैं सभी रिश्ते ,
बहुत नजदीक आ करके
हो गर ज्यादा मिठाई तो,
बुराई हो ही जाती है ।
ये कैसा दौर है,
कैसा जुनूँ है आज बच्चों में
उनसे छोटी क्लासों में,
बुराई हो ही जाती हैं।
बिना सोचे बिना समझे,
किसी से इश्क फरमाना
कराती घर से है बेघर,
बुराई हो ही जाती है।
हजारों काम कर अच्छे,
तू कर ले नाम दुनिया में
जो चूका एक पग भी तो,
बुराई हो ही जाती है ।
भले तुम भूखे सो करके,
खिलाए अपने बच्चों को
बुढ़ापे में जो कुछ बोले,
बुराई हो ही जाती है ।
जो नौकर है,
नहीं अच्छा कभी पहने नहीं खाए
बदन पे चमका जो मखमल,
बुराई हो ही जाती है ।
जमीरें बेचकर अपनी,
करो गुमराह दुनिया को
जो निकली मुंह से सच्चाई,
बुराई हो ही जाती है।
कोई लड़ता है आपस में,
तो लड़ने दो उसे जमकर
अगर जो बीच में बोले,
बुराई हो ही जाती है।
अमीरी उनकी है ऐसी,
खरीदे सैकड़ो हम सा
अगर ईमान न बेचा,
बुराई हो ही जाती है।
किसी के पास गर आओ,
सुनो उसकी ना कुछ बोलो
नहीं की जो बड़ाई तो,
बुराई हो ही जाती है।
जमाने की सभी बातें,
ज़हन में बस दफन कर लो
बयां जो कर दिए ‘एहसास’
बुराई हो ही जाती है।