दुनिया की उलझन में पड़कर,
सब ताने बाने बदल गये
हम तो वैसे के वैसे रहे,
पर दोस्त पुराने बदल गये।
ये बात नहीं परिवर्तन की,
ये तो सब समय का झोंका है
बस मौत ही सच्चा साथी है,
ये जीवन बस इक धोखा है।
इक सुख पाने की चाहत में,
कितना सारे दुख झेल गये
सदा विजेता बनने को हम,
कितनी पारी खेल गये।
सोचा सब हमको मिल जाये,
पर हाथ आया बस खोखा है
बस मौत ही सच्चा साथी है,
ये जीवन बस इक धोखा है।
धन की खातिर सुबह शाम किया,
काम किसी का अपने नाम किया
खुद का सम्मान बढाने को,
इक दूजे का अपमान किया।
खुद अपनी नींव उठाने को,
हमने कितना घर फूँका है
बस मौत ही सच्चा साथी है,
ये जीवन बस इक धोखा है।
जब हाथ मिलाया जीवन से
तो लगा कि कितना सुन्दर है
पर साथ चले तो पता चला,
बस दुख ही इसके अन्दर है।
कुछ वर्ष, महीनों, हफ्तों का,
ये जीवन बस कुछ पलों का है
बस मौत ही सच्चा साथी है,
ये जीवन बस इक धोखा है।
रोता सा जीवन देख देख,
खुशियाँ भी खुशी से मुस्काई
खुशियाँ भरने को जीवन में,
कुछ ने बजवाई शहनाई।
हम जिसे समझते हरियाली,
वास्तविकता में वो सूखा है
बस मौत ही सच्चा साथी है,
ये जीवन बस इक धोखा है।
सब कुछ करते जिसकी खातिर,
वे ही हमें आँख दिखायेंगे
कुछ ऐसा हम कर जायेंगे,
मरने पर ढूढें जायेंगे।
जीवन का अपने अनुभव है,
“एहसास” ये बहुत अनोखा है
बस मौत ही सच्चा साथी है,
ये जीवन बस इक धोखा है।।