यह प्रेम बहन भाई का है, राखी से हाथ सजा देना
तू खुद ही सक्षम बन बहना, भाई का सहारा ना लेना।
तू ज्वाला बन, चिंगारी बन ,
असुरों के लिए कटारी बन
तू सीमा की भी प्रहरी बन
तू भगिनी क्रांति कराली बन,
अन्याय जहां भी देखे तू,
वहां तू ही दुर्गा काली बन,
नजरें जो कोई घूरें तुमको, प्रत्युत्तर करारा दे देना।
तू खुद ही सक्षम बन बहना, भाई का सहारा ना लेना।
तू निर्मल गंग की धारा बन,
तू मुसीबतों में किनारा बन
वात्सल्य तू बन श्रृंगार भी बन
ममता करुणा की धार भी बन
तू अपने धनुष का बाण भी बन
दुश्मन के लिए कृपाण भी बन
यह शीश मातृभूमि को दे, यश शौर्य देश को दे देना
तू खुद ही सक्षम बन बहना, भाई का सहारा ना लेना।
तू एक भी आंसू ना पीना
तू स्वाभिमान से ही जीना
सम्मान पिता माता की तू
और अपनी भाग्य विधाता तू
तू त्याग तपस्या का चंदन
तू ही तुलसी रूपी वंदन
बनकर जलती है ज्योति सदा, हर घर को उजियारा देना
तू खुद ही सक्षम बन बहना, भाई का सहारा ना लेना।
तू ना अपनी नादानी बन
ना लोगों की मनमानी बन
कोई कुदृष्टि डाले तुझ पर
तू आग वहां तूफानी बन
है करुणा दया तेरा गहना
पर अत्याचार नहीं सहना
मानव में छिपे दानवों को, तू मृत्यु का द्वार दिखा देना
तू खुद ही सक्षम बन बहना, भाई का सहारा ना लेना।
ना दे रक्षा का आश्वासन
सुन भाई राखी ना है रसम
उपहार ना मांगू मैं तुझसे
बस दे दे मुझको आज कसम
हर नारी का कर तू सम्मान
नारी भी तो है इंसान
तू ही नहीं तेरे मित्रों से
हर युवा से करती हूं आह्वान
जब होगा तुमको ये ‘एहसास’
तब ये राखी होगी खास
इस राखी पर हमको ये, अधिकार हमारा दे देना
यह प्रेम बहन भाई का है, राखी से हाथ सजा देना ।
तू खुद ही सक्षम बन बहना, भाई का सहारा ना लेना।

अजय एहसास
अम्बेडकर नगर (उ० प्र०)
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