कमला कॉलेज का चार दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण संपन्न

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अनुभूति: “रामराज्य की महत्ता एवं बनारस की गलियाँ”

उन्नत व्यवस्था, सुशासन एवं सनातन संस्कृति का श्रेष्ठतम उदाहरण है श्रीरामलला मंदिर

सीधी। स्थानीय कमला कॉलेज के छात्रों को निष्ठा, सुशासन, संस्कृति एवं ठेठपन सहित प्रकृति से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने हेतु चार दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया, जिसमे कॉलेज के 52 छात्र शामिल रहे। संस्था के निदेशक नीरज शर्मा ने प्रेरक वक्तव्य देकर सभी को संबोधित किया एवं हरी झंडी दिखाकर भ्रमणार्थियों को 16 दिसम्बर की शाम 5 बजे कॉलेज परिसर से रवाना किया।

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भ्रमण का पहला पड़ाव मऊगंज, प्रयागराज के रास्ते प्रातः काल 4 बजे सूर्यवंशी राम की नगरी अयोध्या में हुआ। भ्रमणार्थियों ने पहली बार अयोध्या की ऊषाकालीन अनुभूति के साथ ही सूर्यवंश की परंपराओं, निष्ठा, सुशासन एवं संस्कृति को जाना। कड़ाके की ठंड के बीच सरयू स्नान एवं सूर्योदय का संयोग ऐसा बना मानो बहुप्रतीक्षित स्वप्न पूर्ण हो गया। सहा. प्राध्यापक मनोज कुमार द्विवेदी ने सभी को संबोधित करते हुए, पावन सरयू एवं सूर्यवंशी राम की नगरी का विस्तार से वर्णन कर भ्रमणार्थियों को हनुमान गढ़ी की ओर अग्रसर किया।

सूर्यवंशी श्रीरामलला के दर्शन

राम भक्ति की महिमा एवं राम के जीवन में हनुमान की महत्ता की अनुभूतियों सहित भ्रमणार्थियों ने दोपहर श्रीरामलला के दर्शन किये। प्राचार्य डॉ. रोहित सिंह ने भ्रमणार्थियों से चर्चा के दौरान निर्माणाधीन श्रीरामलला मंदिर परिसर उन्नत व्यवस्था, सुशासन एवं सनातन संस्कृति का श्रेष्ठतम उदाहरण बताया। दिवस के चौथे प्रहर में सभी नेपाली बाबा के आश्रम पहुंचे एवं भोजन ग्रहण कर आराम किया। संध्याकालीन भ्रमण शुरू होने से पूर्व सहा. प्राध्यापक मंगलेश्वर गुप्ता ने सूर्यकुण्ड की महिमा बताते हुए सूर्यवंश का संक्षिप्त ऐतिहासिक वर्णन किया एवं सभी के साथ सायं 7 बजे वर्णित स्थल पहुंचे।

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यहाँ का अनुभव सभी भ्रमणार्थियों के लिए मोहक एवं आश्चर्यजनक रहा। कुंड के जल, लाइट एवं साउंड का ऐसा समायोजन जिसने सूर्यवंशी राम के जीवन से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को सुव्यवस्थित क्रम में प्रदर्शित किया। प्रस्तुतिकरण के पश्चात भ्रमणार्थियों ने नगर के हाट जाकर प्रसिद्ध सामन खरीदे एवं वापस आश्रम आकर रात्रिभोज किया। मध्यरात्रि सुखद अनुभूति सहित जय श्रीराम के नारों के साथ सभी वाराणसी के लिए रवाना हुए।

कशी विश्वनाथ मंदिर सहित बनारस की गलियों का किया दीदार

वाराणसी का भ्रमण ऊषाकालीन गंगा स्नान पश्चात् आरती से आरम्भ हुआ। आरती से पूर्व सहा. प्राध्यापक धीरेन्द्र कुमार शुक्ला ने सभी को संबोधित करते हुए वाराणसी में गंगा के महत्व को समझाया। भ्रमण के इसी क्रम में विश्वनाथ मंदिर, काल भैरव मंदिर का भ्रमण कर दिवस के चौथे प्रहर में सभी मुमुक्षु आश्रम पहुंचे एवं भोजन ग्रहण कर आराम किया। संध्याकालीन सभी ने वाराणसी का हाट एवं गलियां सहित गंगा में नौका विहार कर वापस आश्रम पहुंचे एवं रात्रिभोज कर सामूहिक चर्चा की। चर्चा के दौरान शैक्षणिक भ्रमण से मिले अनुभवों के आधार पर प्रतिवेदन प्रस्तुतिकरण का कार्य सभी भ्रमणार्थियों को दिया गया।

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माँ विंध्यवासिनी रहा अंतिम पड़ाव

रात्रि विश्राम के पश्चात अगले दिन का भ्रमण प्रातः काल प्रारम्भ हुआ। सहा. प्राध्यापक धर्मेन्द्र द्विवेदी ने सभी भ्रमणार्थियों को संबोधित कर अंतिम पड़ाव की पूरी जानकारी दी। वाराणसी से मिर्जापुर (माँ विंध्यवासिनी) पहुंचकर अंतिम पड़ाव पूरा किया गया। वापस आकर दोपहर भोज के पश्चात् सभी सायंकाल कॉलेज परिसर पहुंचे। इस दौरान छात्रों का उत्साह देखते ही बन रहा था, जो अदभुत रहा। सहा. प्राध्यापक दिलीप सिंह व भास्कर मिश्रा का विशेष सहयोग रहा। भ्रमण के संयोजक सहा. प्राध्यापक हंसराज सिंह ने सभी के सहयोगात्मक रवैये, सजग रहने हेतु धन्यवाद ज्ञापन किया। इस दौरान संस्था के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारियों की उपस्थिति सराहनीय रही।

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