लघुकथा : गुफ़्तगू

प्रभुनाथ शुक्ल
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लघुकथा : गुफ़्तगू की छोटी सी कहानी

आम के पेड़ और उसके साथी आज बेहद उदास और दुःखी थे। उन्हें बेहद पीड़ा हो रहीं थीं। सड़क की नापी हो चुकी थी। सड़क के विस्तारीकारण का शासन से आदेश जारी हो चुका था। अब सड़क फोर लेन से सिक्स लेन बनने जा रही थी। राष्ट्रीय राजमार्ग को और भव्य और सुंदर बनाने की राजाज्ञा जारी हो चुकी थी। उदास आम के पेड़ से इमली ने गुफ्तगू करते हुए कहा भाई आज आप बहुत उदास और नासाद लगते हो। क्या कारण है आपकी तबियत ठीक नहीं लगती है। हाँ, इमली बहन तुम ठीक कहती हो। अब हम लोगों की जिंदगी बहुत दिनों की नहीं है यानी बकरी की अम्मा कब तक खैर मानाएगी। जब फोर लेन बनी थीं तो हमारे पूर्वजों ने विकास के लिए शहादत दिया था। हम लोग किसी तरह बच गए थे। फिर अब हम सब सिक्स लेन की बलि चढ़ेगें। अब हमारे दिन गिनने को हैं बहन। ऐसा क्यों कहते हो भाई आम। अरे बहन क्या तुम्हें पता नहीं है। सड़क की नापी हो गयी है। अब इसे फोरलेन से सिक्सलेन में तब्दील होना है। सरकारी फरमान जारी हो चुका है। अब हमारे लोगों की शहादत का वक्त आ गया है। आम की बात सुनते ही इमली के होश उड़ गए थे। उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। विकास की चिंता में खुद के शहीद होने का गम उन्हें खाए जा रहा था।

लेखक : प्रभुनाथ शुक्ल
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लेखक वरिष्ठ पत्रकार, कवि और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। आपके लेख देश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं। हिंदुस्तान, जनसंदेश टाइम्स और स्वतंत्र भारत अख़बार में बतौर ब्यूरो कार्यानुभव।
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