स्वामी विवेकानन्द पीजी कॉलेज में 300 छात्र-छात्राओं को बांटे गए स्मार्टफोन

अजय एहसास
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  • आधुनिकता के दौर में हाईटेक होने की जरूरत- साधु

सुलेमपुर बाजार / अम्बेडकरनगर स्वामी विवेकानन्द पी जी कॉलेज नारायणपुर प्रीतमपुर, हीरापुर में माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत बीए और बीएससी तृतीय वर्ष के 300 छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन वितरण का कार्यक्रम आयोजित कर स्मार्टफोन का वितरण किया गया।

Smartphones distributed

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्यामसुन्दर वर्मा (अध्यक्ष जिला पंचायत) विशिष्ट अतिथि डा. मिथिलेश त्रिपाठी (अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी), आदर्श चौधरी एवम् कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. उजागिर वर्मा पूर्व प्रधानाचार्य एवम अन्य अतिथियों की मौजूदगी रही। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष साधु वर्मा और भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ0 मिथिलेश त्रिपाठी के द्वारा समारोह पूर्वक 300 छात्र-छात्राओं में स्मार्टफोन बांटे गए।

Smartphones distributed to 300 students in Swami Vivekananda PG College

साधु वर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि सफलता के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना है, तो आधुनिकता के दौर में हाईटेक होने की जरूरत है। ऐसे में युवाओं को चाहिए कि वे वक्त के अनुसार खुद को ढालते हुए आगे बढ़ें। सफलता की ऊंचाइयों पर आसानी से पहुंच सकें और दुनिया को मुट्ठी में बंद कर सकें, इसके लिए ही छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

इस अवसर पर प्राचार्य डा.ध्यान चंद वर्मा, प्रबन्धक श्री कमला प्रसाद वर्मा एवं छात्र-छात्राओं सहित जिले के विवेकानंद पीजी कॉलेज के समस्त स्टाफ उपस्थित रहे।

Smartphones distributed to 300 students
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युवा कवि और लेखक, अजय एहसास उत्तर प्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर जिले के ग्रामीण क्षेत्र सलेमपुर से संबंधित हैं। यहाँ एक छोटे से गांव में इनका जन्म हुआ, इनकी इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा इनके गृह जनपद के विद्यालयों में हुई तत्पश्चात् साकेत महाविद्यालय अयोध्या फैजाबाद से इन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बचपन से साहित्य में रुचि रखने के कारण स्नातक की पढ़ाई के बाद इन्होंने ढेर सारी साहित्यिक रचनाएँ की जो तमाम पत्र पत्रिकाओं और बेब पोर्टलो पर प्रकाशित हुई। इनकी रचनाएँ बहुत ही सरल और साहित्यिक होती है। इनकी रचनाएँ श्रृंगार, करुण, वीर रस से ओतप्रोत होने के साथ ही प्रेरणादायी एवं सामाजिक सरोकार रखने वाली भी होती है। रचनाओं में हिन्दी और उर्दू भाषा के मिले जुले शब्दों का प्रयोग करते हैं।‘एहसास’ उपनाम से रचना करते है।
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