भोजपुरिया व्यंग्य : प्रभुनाथ शुक्ल
आजकल उ ध्यान में डूबल बाड़े काहे कि उ सबसे बड़ साधक हवे। इनका लगे बस साधना बा। जबसे हिमालय में साधना के अवतार में देखल गइलन तबसे ऊ साधना के साधन बनवले बाड़न। उनकर कवनो काम बिना आध्यात्मिक अभ्यास के ना होला। देश, राजनीति आ सत्ता खातिर दिन रात काम करत रहेला।
उ अपना के अव्वल फ्कीर कहेलें। कहेले कि हमरा का होई, जब भी मन करे त हम आपन झोरा उठा के चल देब। बाकिर सत्ता पावे खातिर ऊ हर साधन के एगो मंत्र के रूप में इस्तेमाल करेलें। ऊ गजब के जुगाडू हउवें। अतना करिश्माई चेहरा हमनी का आजु ले ना देखले रहीं जा। ऊ अइसन फकीर ह जेकरा झोला में हर समस्या के समाधान के गठरी बा। बस! हमनी के जरूरत पड़ला प एकर इस्तेमाल करेनी।
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खैर, साधना इहाँ के बहुत पुरान परंपरा रहल बा। हमनी के आध्यात्मिक अभ्यास के बहुत बड़ इतिहास बा। हमनी के ऋषि आ राक्षस हिमालय के घन जंगल आ गुफ्फ में हजारन साल तक तपस्या करत रहले। तपस्या करत घरी ऊ देवता लोग के सामने आपन प्रकटीकरण करत रहले। अमरत्व के वरदान प्राप्त कर लेती। तपस्या से मिलल शक्तियन के इस्तेमाल ऊ लोग आसुरी प्रवृत्ति के नाश करे में कइल। लेकिन इनका भी इ सब शक्ति बा। काहे कि ऊ सत्ता के केंद्र में सबसे बड़ तपस्वी हउवें।
उनका पास सामदाम, दंड-भेद क परम शक्ति बा। इहे उनुका सफलता के राज बा। हिमालय में तपस्या के समय उनका इ शक्ति मिलल। एह सत्ता के इस्तेमाल से ऊ विपक्ष के अचूक सत्ता से बच जाला। ओकरा में जादुई शक्ति बा उनका में बहुते सम्मोहन होला जवना का चलते लोग उनुका ओर आकर्षित हो जाला। उहाँ के तपस्या से हमनी के ऋषि लोग बहुत प्रभावित होई है। ओह लोग के अफ्सोस होई कि हमनी का मीडिया का माध्यम से आपन साधना वायरल ना कर पवनी जा।
काहे कि ओह घरी अइसन मीडिया आ फोटोग्राफी में कवनो रुचि ना रहे, ओह घरी मीडिया प्रबंधन ना रहे। ओह घरी कवनो तपस्वी ना रहले जे फोटोग्राफी के अतना शौकीन रहले। जंगल आ गुफ में ऊ अपना ध्यान में अतना डूबल रहले कि चींटीयन उनका देह के आपन निवास बना लेत रहली। देश अउर दुनिया से उनकर कवनो लेना-देना ना रहे। बाकि उनकर तपस्या अइसन नइखे। उनकर साधना फोटोग्राफी के साधना ह। ऊ सबसे बड़ फोटोग्राफर हउवें।