हिंदी मातृभाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति की है प्रतीक – डॉ. रामलला
सीधी। 14 सितम्बर, शनिवार को स्थानीय कमला स्मृति महाविद्यालय के गिरिजा सभागार में हिन्दी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती एवं श्रीगणेश की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अतिथियों का विशिष्ट स्वागत संस्था के विभागाध्यक्षों डॉ. सुनीता सक्सेना, डॉ. रावेन्द्र यादव एवं धर्मेन्द्र द्विवेदी द्वारा शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए डॉ. रामलला शर्मा (प्राचार्य शास. महाविद्यालय, कुशमी) ने अपने बीज वक्तव्य में हिन्दी भाषा के अस्तित्व, इतिहास एवं वर्तमान स्थिति की प्रासंगिकता स्पष्ट की। डॉ. शर्मा ने कहा कि हिंदी मातृभाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति की भी प्रतीक है।
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कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल डॉ. सुरेन्द्र बहादुर सिंह चौहान (भूतपूर्व प्राचार्य शास. कन्या महाविद्यालय, सीधी) ने मातृ भाषा से जुड़े रहकर जीवन को जीने की बात कही, साथ ही हिंदी के इतिहास में हुए बदलावों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्था के प्राचार्य डॉ. रोहित सिंह चौहान ने सभी अतिथियों सहित संस्था के प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं का कार्यक्रम से जुड़कर, सफल बनाने पर धन्यवाद ज्ञापित किया।
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कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रकाश नारायण सिंह ने कहा कि हिन्दी भारत और भारतीयों की पहचान है। यह मधुर, सहज, सरल भाषा है, इसका शब्द भण्डार बहुत ही समृद्ध है। सम्पूर्ण भारत में यह बोली, समझी जाती है। कार्यक्रम का संयोजन मंगलेश्वर गुप्ता एवं मनोज कुमार द्विवेदी द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अनिल नायर, धीरेन्द्र कुमार शुक्ला, प्रीति पाण्डेय, राजेश कुमार गुप्ता, विनय त्रिपाठी, प्रदीप सोनी, अन्नू जायसवाल, नरेन्द्र मिश्रा, आर.पी.भट्ट सहित समस्त कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।