हर दिल में तिरंगा हो, हर मन में तिरंगा हो
घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
यह शौर्य निशानी है, वीरों की कहानी है
समता का पोषक है, बलिदान का सूचक है
यह मन को भाता है, यह प्रगति बताता है
यह शांति का है प्रतीक, ना कोई पंगा हो
घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
घर-घर लहराओ तो, सबको समझाओ तो
इस दिन की जो कीमत, सबको बतलाओ तो
सम्मान हृदय में जिसका, अपमान न हो इसका
अपमान हुआ गर जो, कुर्बान पतंगा हो
घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
यह शान हमारी है, यह जान से प्यारी है
है दिव्य छवि इसकी, दुनिया से न्यारी है
रखने को इसकी शान, होना जो पड़े कुर्बान
बस इतनी गुजारिश है, हाथों में तिरंगा हो
घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
कहते हैं वंदे मातरम, जय हिंद की बोलेंगे
नित नई सुबह प्रगति की, नई राहें खोलेंगे
सब में हो भाईचारा, ना कोई रहे बेचारा
भोजन और वस्त्र मिले सबको, ना कोई भूखा नंगा हो
घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
करता है नमन ‘चितेरा’, बलिदान से जिनके उजेरा
उनकी है अमृत वाणी, हैं सभी अमर बलिदानी
यह अमृत उत्सव पावन, ज्यों पावन गंगा हो
घर-घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
-राजकपूर चितेरा
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