शीर्षक – मेरे जाने से पहले।।

अजय एहसास
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थाम लो हाथ यार, मेरे जाने से पहले ।
बोलो करते हो प्यार, मेरे जाने से पहले।।

प्यार करते हो हमसे फिर भी क्यों छुपाते हो
नजर मिला के नजर हमसे क्यों चुराते हो
कर लो दीदार यार, मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

चला गया तो फिर ना लौट के मैं आऊंगा
बिछड़ के तुमसे भी तुमको ना भूल पाऊंगा
लगो गले तो यार, मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

भीड़ में दुनिया की यूं ना कहीं मैं खो जाऊं
इससे पहले कि किसी और का मैं हो जाऊं
कर लो अधिकार यार, मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

होंठ से कुछ नहीं नजर से ही सब कहते हो
खता है क्या मेरी जो दूर-दूर रहते हो
आ बैठ पास यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

बोलते कुछ नहीं दुनिया के दर्द सहते हो
रोज मिलते हो फिर भी अजनबी ही कहते हो
समझ लो अपना यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

पास आने को मेरे आप भी तड़पते हो
मगर कहेगी क्या दुनिया भी ये समझते हो
तोड़ो दीवार यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

कैसे हैं आपने कुछ भी नहीं बताया है
हमने तो आपसे कुछ भी नहीं छुपाया है
समझ लो मुझको यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले।।

करूं गुस्ताखी आपसे तो ये बेइमानी है
हमें पता है आप अच्छी खानदानी है
रिश्ता तो कर लो यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले।।

बिछड़ के तुमसे कोई गम नहीं सह पाऊंगा
मैं तेरे बिन कहीं तन्हा नहीं रह पाऊंगा
कर लें “एहसास” यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले ।।

ये मुकद्दर ही है जिसने हमें मिलाया है
प्यार का फूल अपने दिल में जो खिलाया है
दिखा दो प्यार यार मेरे जाने से पहले
बोलो करते हो प्यार मेरे जाने से पहले।।

-अजय एहसास
सलेमपुर परसावां
अंबेडकर नगर (उ०प्र०)

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युवा कवि और लेखक, अजय एहसास उत्तर प्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर जिले के ग्रामीण क्षेत्र सलेमपुर से संबंधित हैं। यहाँ एक छोटे से गांव में इनका जन्म हुआ, इनकी इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा इनके गृह जनपद के विद्यालयों में हुई तत्पश्चात् साकेत महाविद्यालय अयोध्या फैजाबाद से इन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बचपन से साहित्य में रुचि रखने के कारण स्नातक की पढ़ाई के बाद इन्होंने ढेर सारी साहित्यिक रचनाएँ की जो तमाम पत्र पत्रिकाओं और बेब पोर्टलो पर प्रकाशित हुई। इनकी रचनाएँ बहुत ही सरल और साहित्यिक होती है। इनकी रचनाएँ श्रृंगार, करुण, वीर रस से ओतप्रोत होने के साथ ही प्रेरणादायी एवं सामाजिक सरोकार रखने वाली भी होती है। रचनाओं में हिन्दी और उर्दू भाषा के मिले जुले शब्दों का प्रयोग करते हैं।‘एहसास’ उपनाम से रचना करते है।
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