शीर्षक – इश्क अधूरा ही रह गया!

अजय एहसास
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Photo by Jake Thacker on Unsplash & Edited by Rk Chitera

कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया
रंगीन दिल का कागज भी कोरा ही रह गया
जो सोचते थे उनको कि अपना बनाएंगे
कट गई पतंग हाथ में डोरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

आशिक मिजाज ना बनो खुद को संभालो यार
इन से नजर मिलाओ ना करते हैं दिल पे वार
दिल में तुम्हारे बस वही छूरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया ।।

है इश्क अगर तुमको तो हो जाओगे बरबाद
पहले तो मजा आएगा पछताओगे फिर बाद
हर ओर अब तो देखो अंधेरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया ।।

भूलकर भौरों सा नहीं जाना उनके पास
मुट्ठी में रख के बंद करेंगे वो तेरी सांस
फूलों में बंद जैसे वो भौरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

जिन पर लुटा दिया था तुमने दौलतों के ढेर
उसने तो कर दे तेरे मोहब्बत में हेरफेर
अब हाथ में तो तेरे कटोरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

तू घूमता रहता था जिनकी गलियों में जाकर
वो छोड़ गई तुझको किसी और को पाकर
वीरान सी गलियों में बसेरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

सोचा था नफरतों की शाम ढल ही जाएगी
पैगाम मोहब्बत का सुबह लेके आएगी
आया ना सुबह हाथ अंधेरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया ।।

जब देखता था रहना चाहता था आसपास
तू बन ना पाया और कोई बन गया था खास
फेरी लगाने वाले का फेरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

मोहित हुआ था सोच कर तू उसको उर्वशी
सोचा था जिंदगी में तेरी देगी हर खुशी
पाया ना सुकूं गमों का डेरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

सोचा था पास आके करेगी तेरी तारीफ
एहसास कराता नहीं तुझ सा कोई आशिक
अरमान दिल का दिल में वो पूरा ही रह गया
कुछ आशिकों का इश्क अधूरा ही रह गया।।

-अजय एहसास
सलेमपुर परसावां
अंबेडकर नगर (उ०प्र०)

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युवा कवि और लेखक, अजय एहसास उत्तर प्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर जिले के ग्रामीण क्षेत्र सलेमपुर से संबंधित हैं। यहाँ एक छोटे से गांव में इनका जन्म हुआ, इनकी इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा इनके गृह जनपद के विद्यालयों में हुई तत्पश्चात् साकेत महाविद्यालय अयोध्या फैजाबाद से इन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बचपन से साहित्य में रुचि रखने के कारण स्नातक की पढ़ाई के बाद इन्होंने ढेर सारी साहित्यिक रचनाएँ की जो तमाम पत्र पत्रिकाओं और बेब पोर्टलो पर प्रकाशित हुई। इनकी रचनाएँ बहुत ही सरल और साहित्यिक होती है। इनकी रचनाएँ श्रृंगार, करुण, वीर रस से ओतप्रोत होने के साथ ही प्रेरणादायी एवं सामाजिक सरोकार रखने वाली भी होती है। रचनाओं में हिन्दी और उर्दू भाषा के मिले जुले शब्दों का प्रयोग करते हैं।‘एहसास’ उपनाम से रचना करते है।
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